बिहार के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए एक बेहद राहतभरी खबर आई है। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं कि अब गर्मी की छुट्टियों के दौरान किसी भी शिक्षक को किसी प्रकार की ड्यूटी के लिए नहीं बुलाया जाएगा। यह फैसला शिक्षकों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा करता है, जिससे उनके चेहरे पर मुस्कान लौट आई है।
गर्मी की छुट्टियों में अब नहीं करनी होगी कोई ड्यूटी
बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी शिक्षक को गर्मियों की छुट्टियों में न तो स्कूल बुलाया जाए और न ही किसी सरकारी कार्य में लगाया जाए। अब शिक्षकों को अपने परिवार के साथ निश्चिंत होकर समय बिताने का मौका मिलेगा।
शिक्षक कर सकेंगे परिवार और खुद पर ध्यान
शिक्षा विभाग ने यह भी सुझाव दिया है कि शिक्षक इस अवकाश का सदुपयोग खुद को मानसिक रूप से तरोताजा करने के लिए करें। चाहे वो अपने परिवार के साथ कहीं घूमने जाएं या अपनी व्यक्तिगत रुचियों को समय दें – अब उनके पास वह समय होगा।
क्यों लिया गया यह फैसला?
पिछले वर्षों में कई शिक्षकों को छुट्टियों में भी विभिन्न ड्यूटीज़ जैसे चुनाव कार्य, सर्वेक्षण, प्रशिक्षण आदि में लगा दिया जाता था। इससे शिक्षक मानसिक और शारीरिक रूप से थक जाते थे। शिकायतों के आधार पर सरकार ने इस बार स्पष्ट किया कि “छुट्टी का मतलब वास्तव में छुट्टी होना चाहिए।”
2 जून से शुरू होगी छुट्टी, 20 जून तक रहेगा अवकाश
राज्य के करीब 81,000 सरकारी स्कूलों में 2 जून 2025 से 20 जून 2025 तक ग्रीष्मकालीन अवकाश रहेगा। इस दौरान स्कूल पूर्णतः बंद रहेंगे। सिर्फ विद्यालय प्रमुख या प्रभारी प्रधानाध्यापक को स्कूल की प्रशासनिक जरूरतों के लिए उपस्थिति दर्ज करनी होगी।
बच्चों के लिए विशेष गणित समर कैंप की व्यवस्था
हालांकि, शिक्षा विभाग ने कक्षा 5वीं से 6ठी तक के छात्रों के लिए एक “गणितीय समर कैंप” की घोषणा की है। इसमें कमजोर छात्रों को एक से डेढ़ घंटे की विशेष गणित कक्षाएं दी जाएंगी। यह पूरी तरह स्वैच्छिक है और कुछ शिक्षक इसमें खुद आगे बढ़कर सहयोग कर रहे हैं।
शिक्षक संगठनों ने फैसले का किया स्वागत
बिहार के शिक्षक संगठनों और समुदाय ने इस निर्णय का खुले दिल से स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे शिक्षकों को मानसिक राहत मिलेगी और जब वे नए सत्र में लौटेंगे तो ज्यादा ऊर्जा और उत्साह के साथ पढ़ा सकेंगे।
निष्कर्ष:
बिहार सरकार का यह फैसला शिक्षा व्यवस्था में एक सकारात्मक और संवेदनशील बदलाव की ओर इशारा करता है। शिक्षकों को मानसिक शांति, पारिवारिक समय और विश्राम देना शिक्षा की गुणवत्ता को सीधा प्रभावित करेगा। ऐसे निर्णय देश के बाकी राज्यों के लिए भी एक आदर्श मिसाल बन सकते हैं।
यदि आप बिहार के शिक्षक हैं, तो यह समय खुद के लिए जीने और परिवार संग खूबसूरत यादें बनाने का है।